khatu shyam mandir rajasthan history in hindi | खाटू श्याम जी की कहानी

khatu shyam mandir rajasthan, khatu shyam mandir rajasthan khatu shyam mandir rajasthankhatu shyam mandir rajasthan, khatu shyam mandir rajasthan history in hindi :- जय श्री श्याम दोस्तों, दोस्तो आज हम बात करेंगे खाटू श्याम जी के बारे में। खाटू श्याम जी मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है । khatu shyam mandir rajasthan पूरे भारत में प्रसिद्ध है। खाटू श्याम जी एक मात्र ऐसा मंदिर है जिस मंदिर के बाहर लिखा हुआ है हारे का सहारा । आज मैं आपको इस आर्टिकल में खाटू श्याम की के बारे में विस्तार से जानकारी दूंगा। आज इस आर्टिकल में मैं आपको बताऊंगा कि खाटू श्याम की कौन है।और खाटू श्याम का या नाम खाटू श्याम कैसे पड़ा। खाटू श्याम की का असली नाम क्या है। अगर आप खाटू श्याम जी के भगत है तो आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़े और खाटू श्याम जी के बारे में अच्छी अच्छी बाते जाने ।।

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खाटू श्याम की कौन है ।

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सबसे पहले हम बात करते है आखिर खाटू श्याम जी कौन है। खाटू श्याम की का महाभारत से क्या लेना देना है । खाटू श्याम की को श्याम नाम से क्यों जाना जाता है। खाटू श्याम जी को तीन बाण धारी क्यों कहा जाता है। खाटू श्याम जी को हारे का सहारा क्यों कहा जाता है। khatu shyam mandir rajasthan

आप लोगो ने महाभारत तो देखी होगी। अगर नहीं देखी तो देख लेना।वैसे मैं आपको बता देता ही की महाभारत में कोरवा और पांडवों को बीच में युद्ध हो रहा था । युद्ध क्यू हुआ इसलिए लिए आपको महाभारत देखनी पड़ेगी। महाभारत में बनवा में एक भीम नाम का योद्धा था। भीम के पुत्र का नाम घटोचकच था । घटोचक्च के पुत्र का नाम बर्बरीक था। बर्बरीक में अपनी तपस्या से शिव जी को परसन किया था। शिवजी ने बर्बरीक को खुश होकर तीन बाण दिए थे। और ये कहा था की तुम्हे कोई नही हरा सकता ।

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एक दिन बर्बरीक को महाभारत के युद्ध के बारे में बता चला। बर्बरीक ने सोच लिया था युद्ध में जाकर लड़ने के लिए । बर्बरीक को माँ में उनको बहुत माना किया की पुत्र आप युद्ध में मत जाओ। पर बर्बरीक की जिद थी युद्ध में जाने की। जब बर्बरीक युद्ध के लिए घर से निकले तो उनको मां ने बर्बरीक से वचन मांगा की को युद्ध में हारेगा आपको उसकी तरफ से ही लड़ना होगा । बर्बरीक अपनी मां को वचन देकर घर से निकल पड़े युद्ध भूमि की ओर ।

भगवान श्री कृष्ण जी को ये बात पता चली की बर्बरीक युद्ध में शामिल होने के लिए आ रहे है। और भगवान श्री कृष्ण जी ये भी जानते थे कि वो हारने वालों की तरफ से लड़ेंगे। भगवान श्री कृष्ण जी ये भी अच्छी तरह से जानते थे कि बर्बरीक कोरवा की तरफ से युद्ध लड़ेगा क्युकी कोरवा उस समय हार रहे थे। और अगर बर्बरीक कोरवा की तरफ से लड़ते तो वो पांडवों को हरा देने। पूरी महाभारत बदल जाती।

भगवान श्री कृष्ण जी बर्बरीक को युद्ध में आने से रोकना चाहते थे। भगवान श्री कृष्ण बहुत तेज थे। उन्होंने बर्बरीक को युद्ध में आने से रोकने के लिए एक उपाय सोचा। भगवान श्री कृष्ण जी ने साधू का रूप धारण किया और बर्बरीक के रास्ते में आ गए। बर्बरीक को नहीं पता था की साधु के भेष में भगवान श्री कृष्ण जी है। बर्बरीक ने कहा आप मेरे मार्ग में क्यू खड़े हो।आपको क्या चाहिए। मेरा मार्ग छोड़िए मुझे युद्ध लड़ने के लिए जाना है ।

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भगवान श्री कृष्ण ये सुनते ही हस पड़े और बोले आपको पास तो युद्ध करने के लिए कोई हथियार भी नहीं है फिर आप कैसे युद्ध लड़ोगे। जब बर्बरीक में कहा की मेरे ये तीन बाण ही काफी है युद्ध खत्म करने के लिए। भगवान श्री कृष्णा तो चालाक बहुत थे।बोलो मैं नहीं मानता को आप एक बाण से युद्ध खत्म कर सकते हो। मुझे साबित करके दिखाओ।

बर्बरीक ने कहा की आप ये जो पीपल का पेड़ देख रहे हो में एक तीर से इस पड़े के सभी पत्तो में छेद कर सकता ही। कृष्ण भगवान फिर हसने लगे बोले मैं नहीं मानता । कृष्ण भगवान में बड़ी चालाकी से पीपल का एक पत्ता अपने पैरो के नीचे दबा लिया । बर्बरीक में तरकश में से एक तीर पीपल के पेड़ की ओर चला दिया । उस एक तीर से पीपल के सभी पत्तो पर छेद कर दिया और भगवान श्री कृष्ण जी के पैरो के पास आकर रुक गया।

बर्बरीक ने कहा अपना पैर हटाइए। जब श्री कृष्ण जी ने अपना पैर हटाया तो उन्होंने देखा को पत्ता उन्होंने आपने पैर की नीचे छुपा लिया था उस पत्ते में भी छेद हो गया । भगवान श्री कृष्ण जी समझ गए की अगर ये युद्ध में गए तो एक तीर से कुछ ही मिनटों में युद्ध खत्म कर देगा। साधू के भेष में भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि कुछ कुछ चाहिए क्या आप मुझे दोगे। बर्बरीक ने कहा मांगिए आपको क्या चाहिए।आप जो भी मांगोगे मैं आपको अवश्य दूंगा।

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भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा कि मुझे आपका शीश चाहिए। बर्बरीक समझ गए की ये कोई साधु नही है। बर्बरीक में कहा की मैं आपको अपना शीश दे दूंगा पर आप मुझे अपना असली रूप दिखाए। फिर भगवान श्री कृष्ण जी अपने असली रूप में आ गए । फिर क्या था बर्बरीक ने अपना शीश काट कर श्री कृष्ण जी को से दिया । बर्बरीक में श्री कृष्ण जी से कहा में युद्ध लड़ने आया था पर युद्ध लड़ नहीं पाया पर में ये युद्ध देखना चाहता हु ।

श्री कृष्ण जी ने बर्बरीक की बात मान का बर्बरीक को महाभारत का पूरा युद्ध देखने के लिए उनके शीश को एक पहाड़ पर रख दिया। बर्बरीक में महाभारत का पूरा युद्ध देखा। जब युद्ध समाप्त हो गया तो पांडव आपस से लगने लगे। उनकी लड़ाई इसलिए हो रही थी की वो आपस में आपने आप को सबसे बड़ा महान योद्धा बता रहे थे। सब कह रहे थे की युद्ध मेरी वजह से जीता गया है। भगवान श्री कृष्ण जी पांडवों के पास आए और बोले आपस में मत लड़ो। एक काम करते है बर्बरीक से पूछ लेते है को युद्ध किसी वजह से जीता गया है।

सभी लोग बर्बरीक के पास गए और बर्बरीक से पूछा की बताओ ये युद्ध किसकी वजह से जीता गया है। बर्बरीक ने का इस पूरे युद्ध में मुझे तो भगवान श्री कृष्ण जी का सुदर्शन चक्र ही सबके वध करता दिख रहा था। भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक को आशीर्वाद दिया की आप कलयुग में मेरे श्याम नाम से जाने जाओगे। आप हारे का सहारा बनोगे। और भगवान श्री कृष्ण जी ने कहा की जब जब कलयुग बढ़ता जायेगा आपको उतना ही ज्यादा पूजा जाएगा। जैसे जैसे कलयुग बडेगा हर घर में से लोग आपके दरबार में आएगा।

बर्बरीक(खाटू श्याम जी) की मूर्ति कब और कहा मिली।

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लगभग 100 साल पहले की श्याम जी की मूर्ति

अब मैं आपको बताता हु की खाटू श्याम जी की मूर्ति कब और कहा से निकली थी । राजस्थान में सीकर जिले में एक खाटू नाम का गांव था। उस गांव के राजा के पास बहुत सारी गाय थी। गाय के चराने के लिए एक चरवाहा(गाय चराने वाला) रख रखा था। जब भी वो चरवाह उन गाय के चराने के लिए खाटू गांव में जाता था । तो इन गाय में से एक गाय ऐसी थी जो रोज किसी एक जगह जाकर रुक जाती थी और उसके थन में से अपने आ दूध निकालने लग जाता था। और जब चरवाह दूध निकलता तो दूध नहीं निकलता था। वह सोचता था की कोई और मौके के फायदा उठा कर कर इस गाय का दूध निकल लेता है। चरवाह से सोचा कि इस गाय का पीछा करना पड़ेगा और उस दूध चोर को पकड़ना पड़ेगा।

अगले दिन चरवाह से ऐसा ही किया खाटू गांव में गाय चराने ले गया और उस गाय का पीछा करने लगा। तो चरवाह से देखा की गाय एक जगह पर जाकर रुक गए है और उसके थन से अपने आप दूध निकल रहा था । चरवाह बड़ा परेशान हो गया और उसने ये बात वहा के राजा को बताई। राजा को भी इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था। वो बोले जब तुम गाय चराने जाओ तो मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगा।

अगले दिन ऐसा ही हुआ। राजा और वो चरवाह गायों को चरने के लिए खाटू गांव लेकर गए । हमेशा की तरह आज गाय उसी जगह पर आकर रुक गई।और फिर गाय के थनों से दूध निकालने लगा। सारा दूध धरती के अंदर चला गया। ये सब देख कर राजा को भी बहुत हैरानी हुई। वो सब लोग घर आ गए। राजा इस बारे में सोचता सोचता सो गया। राजा को रात को सपना आया की जहा गाय का दूध अपने आप निकल रहा है इस जगह को खुदाई करवाओ। वहा पर श्याम जी की प्रतिमा निकलेगी उसकी स्थापना करवाओ।

Shri Shyam Mandir Rajasthan

राजा ने वैसा ही किया अगले दिन राजा कुछ मजदूरों के साथ उस जगह पर गए जहा वो गांव खड़ी होती थी और उसका दूध अपने आप निकलता था। मजबूरो ने वहा खुदाई करनी शुरू कर दी। और खुदाई करते करते मजदूरों को वहा पर एक प्रतिमा दिखाई दी। उस प्रतिमा को बाहर निकाला और उसकी स्थापना की गई। खाटू श्याम जी का मंदिर वही मंदिर है जहा श्याम जी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। क्युकी मूर्ति खाटू गांव में निकली थी इसलिए इनको खाटू श्याम जी के नाम से जाना जाता है।

आज पूरे भारत में खाटू। श्याम जी , रिंग्स, राजस्थान का मंदिर प्रसिद्ध है । दूर दूर से लोग यहा पर श्याम जी के दर्शन करने आते है । कहते है की जब भी कोई खाटू श्याम मंदिर में जाकर सच्चे मन से कुछ भी मांगते है , तो श्याम बाबा उनकी इच्छा जरूर पूरी करते है।

खाटू श्याम जी की बहुत नामो से जाना जाता है। जैसे

  • बर्बरीक
  • शीश के दानी
  • हारे का सहारा
  • तीन बाण धारी
  • लखदातार
  • लीला के अस्वार

दोस्तों ये था हमारा छोटा सा आर्टिकल khatu shyam mandir rajasthan history in hindi. आपको हमारा ये आर्टिकल khatu shyam mandir rajasthan history in hindi कैसा लगा कमेंट करके जरूर बताये। और अगर आपको हमारे ये आर्टिकल अच्छा लगा तो इस आर्टिकल को श्याम प्रेमियों के साथ शेयर जरूर करे।

जय श्री श्याम

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